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घर खरीदें या फिर किराया पर रहे? क्या कहता है वित्तीय नियम।

घर खरीदें या फिर किराया पर रहे?

नमस्कार दोस्तों,  जिंदगी में कुछ ऐसे मोड़ आते हैं जहां आप को दो में से एक रास्ता चुनना पड़ता है। यही निर्णय तय करता है कि आपके आगे का जिंदगी कैसा होगा। आप खुश रहेंगे या फिर दुखी रहेंगे।

कई मोड़ जीवन के बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। जहां हमें सोच समझकर निर्णय लेना चाहिए। जैसा कि मैं अक्सर कहता हूं कि इस दुनिया में सभी मनुष्य को भगवान ने अलग-अलग तरह के बनाया है। इसलिए कभी भी हमें किसी की नकल नहीं करना चाहिए।

यदि आप दूसरे की नकल करते हो तो बहुत जल्द ही आप दुख पाओगे। क्योंकि दूसरे व्यक्ति की आवश्यकता, आमदनी, खर्चा इत्यादि आप की आवश्यकता, आमदनी एवं खर्चा से अलग हैं। इसलिए जीवन में कभी भी दुसरे कि नक़ल नहीं करना चाहिए।

हमें घर लेना चाहिए या फिर किराए के घर में रहना चाहिए? यह बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है जो शायद हम सबकी जिंदगी में एक बार जरूर आता है।

जैसा कि आप जानते हैं कि घर लेना सबका एक सपना होता हैं। लेकिन एक घर का लोन चुकाने में पूरी जिंदगी निकल जाती है। इसलिए यह सोच कर कभी भी घर ना ले कि वह व्यक्ति घर ले रहा है तो मैं भी ले लूं या वह व्यक्ति किराए के घर में रहता है तो मैं भी किराए के घर में रहूं।

घर लेना या किराए पर रहना सभी के लिए लाभदायक नहीं है। एक व्यक्ति के लिए घर लेना लाभदायक हो सकता है तो दूसरे व्यक्ति के लिए घर लेना नुकसानदायक हो सकता है। ठीक उसी प्रकार एक व्यक्ति को किराए पर रहना लाभदायक हो सकता है जबकि दूसरे व्यक्ति को किराए पर रहना नुकसानदायक हो सकता है।

अभी आपको कुछ मेरी बातें अटपटा सा लग रहा है। आपको कुछ समझ नहीं आ रहा है। हम आपको सभी वोल्वो के बारे में अलग-अलग बता रहे हैं कि से घर लेना किसे लाभदायक है और किराए  पर रहना किसके लिए लाभदायक है।

घर किसे खरीदना चाहिए?

घर उस व्यक्ति को जरूर खरीदना चाहिए जिसकी जॉब या बिजनेस एक शहर में रहता है। यानी उसका बार-बार ट्रांसफर नहीं होता है। या ऐसे व्यक्ति जो कम से कम 15 से 20 साल एक शहर में रहे उसे अपना घर जरूर खरीदारी चाहिए।

ऐसे व्यक्ति को भी घर जरूर खरीदना चाहिए जिसके बच्चे पढ़ रहे हैं और वह बच्चे उस शहर से दूसरे शहर में शिफ्ट होना नहीं चाहते हैं। यानी आने वाले 8 – 10 साल तक उसे उसी शहर में पढ़ना है। भले वह व्यक्ति दूसरे शहर में जॉब करें। लेकिन उसे घर जरूर खरीदना चाहिए।

वित्तीय दृष्टिकोण से उसे ही अपना घर खरीदना चाहिए जिसे घर की कीमत का कम से कम 25% पैसा अपने पास हो। कभी भी 100% लोन लेकर घर ना खरीदें। घर खरीदने वक्त कम से कम लोन लेने का प्रयास करें।

घर किसे खरीदना नहीं चाहिए?

यदि आपके पास कितना भी पैसा हो लेकिन यदि आपको घर की आवश्यकता नहीं है तो घर नहीं करना चाहिए। यदि आपका नौकरी इस प्रकार है कि आपको दो-तीन साल में एक दूसरे स्टेट में बदली हो रहा है तो आपको कभी भी घर नहीं करना चाहिए।

यदि आपके पास डाउन पेमेंट के लिए भी नगद पैसा नहीं है आप कभी भी घर ना खरीदें। घर के मूल्य का कम से कम 25% नकद पैसा होना आवश्यक है। 50% पैसा हो जाए तो अति उत्तम माना गया है।

लोन का‌ EMI यदि आप के वेतन के एक तिहाई से कम है तो आपको उतना लोन लेकर घर खरीदना चाहिए। लेकिन यदि लोन का EMI  आपके वेतन के एक तिहाई से ज्यादा हो तो कभी भी घर आपको नहीं खरीदना चाहिए।

आपके पास पहले से ही पर्सनल लोन, कार लोन या अन्य लोन चल रहा है तो घर खरीदने से बचना चाहिए। क्योंकि एक से अधिक लोन मानसिक शांति में बाधा पहुंचाते हैं।

घर खरीदने से लाभ

कोई भी व्यक्ति बिना लाभ कोई काम नहीं करता और जब घर खरीदने की बात आती है तो इसके खरीदने के अनेक लाभ हैं जो निम्नलिखित हैं।

1. घर खरीदने या स्वयं का घर होने से आपके प्रतिष्ठान बढ़ती है। समाज में आपकी इज्जत पहले से ज्यादा बढ़ जाती हैं।

2. स्वयं के घर में मानसिक शांति मिलती हैं। बार-बार घर खाली करने से होने वाले परेशानी से छुट्टी मिल जाती हैं।

3. वित्तीय दृष्टिकोण से होम लोन लेने से टैक्स में छूट मिल जाते हैं।

4. घर का एक भाग किराए पर लगा देने से एक अतिरिक्त आमदनी के स्रोत उत्पन्न हो जाते हैं।

5. खुद के घर में कोई छोटा सा व्यवसाय या पार्ट टाइम जॉब भी कर सकते हैं।

घर खरीदने से नुकसान

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं एक लाभ और दूसरा नुकसान ठीक उसी प्रकार घर खरीदने से जहां बहुत फायदा है वहां कुछ नुकसान भी हैं जो निम्नलिखित है

होम लोन 20-25 वर्ष के लिए लिया जाता है। पूरा जिंदगी हम घर का लोन भरते भरते निकाल देते हैं। होम लोन लेने के बाद परिवार की वित्तीय स्थिति डांवाडोल हो जाती हैं। हम चाह कर भी कोई और काम नहीं कर सकते हैं।

कई बार  EMI नहीं भर पाने के कारण बैंक वाले आकर परेशान करते हैं। बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।

घर लेना जितना आसान है बेचना उतना मुश्किल होता है। समय पर घर नहीं बिक पाने के कारण ज्यादा परेशानी उठाना पड़ता है।  हर महीने घर के मेंटेनेंस के लिए भी कुछ पैसे अलग से रखना पड़ता है।

खुद का घर होने से कई वस्तु खरीद लेते हैं जिसकी हमें आवश्यकता बहुत कम या ना के बराबर होती है।

 

किराए के घर में रहने से फायदा

किराए पर मकान में रहने के कई फायदा है जो निम्नलिखित हैं।

1. केवल किराया देने से अनेक सुख मिल जाता है। मकान का मेंटेनेंस  खर्चों के झंझट में नहीं पड़ना पड़ता  है।

2. जब चाहे हम मकान बदल सकते हैं। एक मकान पसंद है तो दूसरे मकान में सेट हो जाते हैं।

3. किराए के मकान में कम पैसे में हमारा काम निकल जाता है। कोई लोन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

4. होम लोन की झंझट में नहीं पड़ना पड़ता है। यह पैसा निवेश करके हम अच्छा खासा रकम बना सकते हैं।

5. छुट्टी पर जाने या अपने पैतृक आवास जाने पर मकान दिखभाल करने की जरूरत नहीं पड़ती है। जो मकान मालिक है उसकी जिम्मेदारी बन जाते हैं।

किराए के घर में रहने से नुकसान

किराए के मकान में रहने से कई नुकसान है

1. हर महीना किराया भुगतान करना नुकसानदायक माना गया है। क्योंकि EMI खत्म होने पर हमारा खुद का मकान हो जाता है। जबकि  सालों तक किराए पर रहने पर हमें इसका कोई लाभ नहीं मिल पाता है।

2. किराएदार और मकान मालिक के अक्सर तनाव बना रहता है। जिससे मानसिक शांति में बाधा उत्पन्न होती है।

3. बार-बार किराए के मकान बदलने में काफी सामान की टूट-फूट होते हैं जिससे आर्थिक नुकसान हो जाता है।

4. कई जगह मकान मालिक किराया एग्रीमेंट नहीं बनाता है। जब चाहे हमें वह मकान से बाहर निकालने का हक रखता है और मजबूरी में हमें मकान लेना पड़ता है।

5. किराएदार को उतना इज्जत नहीं मिल पाता जितना कि मकान मालिक को।

निष्कर्ष

इस प्रकार  घर खरीदने और किराए पर रहने के फायदे एवं नुकसान के बारे में आपके साथ चर्चा की। अब आप स्वयं निर्णय ले सकते हैं कि आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।

फिर भी आपके मन में कोई सवाल हो तो हमें आप ईमेल कर सकते हैं। मेरी वेबसाइट का नाम  स्टेशन गुरुजी है। आप गूगल पर जाकर स्टेशन गुरुजी उसके सामने अपना सवाल लिखा है उसका जवाब मिल जाएगा।

धन्यवाद।

 

 

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