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Motivational Story - जिंदगी बनाओ या फिर बहाने बनाओ

Motivational Story – जिंदगी बनाओ या फिर बहाने बनाओ

 

 कुछ साल पहले शाम को चलने वाले संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस दिल्ली से पटना के लिए रवाना हुए। गाड़ी का जनरल बोगी खचाखच भरा हुआ था। 

 

हम भी उसी जनरल बोगी में किसी प्रकार एक पाव पर खड़े थे। गाड़ी रवाना हुई। गर्मी का मौसम था। अब यात्रियों के बीच वार्तालाप शुरू हो गई।

 

आप कभी ना कभी रेलवे के जनरल बोगी में यात्रा जरूर किए होंगे। भारत की असली छवि इसी में दिखाई पड़ते हैं।

 

 एक से बढ़कर एक महान विद्वान, वक्ता, कवि इसी बोगी में यात्रा करते हुए आपको नजर आएंगे।

 

पीछे से एक महानुभाव जोर से बोल रहे थे। क्या करते , बचपन में ही पिताजी की मौत हो गई। मजबूरी में पढ़ाई छोड़ कर दिल्ली आना पड़ा। अगर आज पिताजी होते तो हम भी बड़े सरकारी अधिकारी बने होते।

 

उसके ठीक सामने वाले यात्री उनके बात का समर्थन करते हुए बोले हां भैया जी, हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पिताजी बीमार रहते थे ऊपर से तीन-तीन बहन थी। 

 

बहन की शादी करने के लिए नौकरी करो या पढ़ाई और हम भागकर दिल्ली आ गये।

 

नौकरी करके तीनों बहन की शादी की। अगर पिताजी बीमार ना होते तो आज हम भी कोई अच्छा नौकरी ले लेते।

ऊपर वाली सीट से आवाज आई, ठीक कहते हैं भैया जी। हम तो आप दोनों से ये कहे कि दुनिया का सबसे बदनसीब आदमी है। 

 

बचपन में ही पिताजी घर से निकाल दिए और दिल्ली आ गया। स्कूल का मुंह भी नहीं देख पाए। 

 

इसलिए आज दिल्ली में फुटपाथ पर ठेला चला रहे हैं। नहीं तो आज हम भी अच्छे से अच्छे नौकरी पा जाते।

 

दोस्तों एक से बढ़कर एक बहाना ऐसे ऐसे बहाना जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। गाड़ी दिल्ली से पटना पहुंच जाए पर यह बहाना कभी भी खत्म ना हो।

 

तो क्या यह बहाने वास्तव में सच है। अगर सच है तो क्या हम परिस्थितियों के दास हैं। अगर किसी का  पिता नहीं है या बीमार है तो क्या हुआ? जिंदगी से हार मान जाएगा। अगर कोई कम उम्र में जल्दी आ गया क्या वह अपना मंजिल नहीं बना सकता है।

 

दोस्तों कहावत है काम ना करने के सौ बहाने हो सकते हैं। लेकिन काम करने के सिर्फ एक कारण होते हैं। इसलिए मैं बार-बार कहता हूं – जिंदगी बनाओ या फिर बहाने बनाओ।

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अगर किसी बच्चे को स्कूल नहीं जाना है तो उसके पास सौ बहाने है जैसे मम्मी पेट दुख रहा है, सर में दर्द है, शरीर में बहुत थकान है।

 

 मास्टर जी बहुत मारते हैं। बच्चे तंग करते हैं। ड्रेस फटा हुआ है। किताब नहीं मिल रहा है और ना जाने क्या-क्या?

 

 यदि उस बच्चे को स्कूल जाना है तो सिर्फ एक ही कारण है उसे पढ़ने की इच्छा है। वह परीक्षा में अच्छा नंबर लाकर अपने सपने को साकार करना चाहता है।

 

अगर आपको ड्यूटी पर नहीं जाना है तो उसके सौ बहाने ने हो सकते हैं। जैसे आज ड्यूटी जाने का मूड नहीं है, पिछले कई महीनों से छुट्टी नहीं लिया हूं।

 

 आज छुट्टी ले लेता हूं, आज अपने बॉस को सबक सिखाऊंगा, गाड़ी में पेट्रोल नहीं है, मौसम अच्छा नहीं है। ऐसे ही बहुत सारे बहाने हैं। 

 

लेकिन आपको ड्यूटी पर जाना है तो सिर्फ एक कारण है कि आपको ड्यूटी करनी है क्योंकि इसी से आपके परिवार का भरण पोषण होता है।

 

कोई विद्यार्थी जो किसी परीक्षा में फेल हो गया हो, उससे फेल होने का कारण पूछ लो, सौ कारण बताएगा। जैसे बहुत कठिन सवाल था। कोचिंग वाले ठीक से पढ़ाते नहीं। स्कूल में अच्छा माहौल नहीं था।

 

 परीक्षा से 10 दिन पहले बहुत बीमार हो गया था। जनरल कैंडिडेट हूं, यदि SC, ST कैंडिडेट होता तो पास हो जाता। पहले से ही सब सेटिंग है परीक्षा तो दिखावा है, और ना जाने क्या-क्या?

 

किसी ऐसे विद्यार्थी से पूछो जिसने परीक्षा में सफल हुआ है तो उनका एक ही जवाब मिलेगा मुझे इस परीक्षा में किसी भी हाल में सफल होना था इसलिए मैं सफल हुआ।

 

दोस्तों ऐसे कई उदाहरण आपने जरूर अपने आस-पास सुने होंगे। जिंदगी बनाना एक मुश्किल काम है। इसके लिए आपको खून पसीना एक करना पड़ता है। जबकि बहाने बनाना सरल  काम है। एक नहीं सौ बहाने बना लो।

 

असफल होना गलत नहीं है। गलत तो यह है कि अपनी असफलता का दोष किसी और के माथे पर डाल देते हैं। बहाना बनाकर अपने आप को झूठी तसल्ली देते रहते हैं।

हर व्यक्ति के अंदर कोई ना कोई टैलेंट जरूर होता है। यदि आप टाइम टेबल बनाकर पढ़ने में मन लगाएं तो जरूर परीक्षा में अच्छा नंबर ला सकते हैं।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का जीवन गाथा एक बार जरूर पढ़ लें।  किस प्रकार उन्होंने एक मजदूर से राष्ट्रपति बनने का सफर तय किया।

 

महान स्वतंत्रता सेनानी सोहनलाल द्विवेदी जी का यह कविता बचपन में आपने कई बार पढ़ें होंगे। नहीं पढ़ें हैं तो आज पढ़ लीजिए। जो हम सभी के लिए बहुत प्रेरणादायक है

हार नहीं होती

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। 

 

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है

चढ़ती दीवारों पर सौ-सौ बार फिसलती है।

मन का उत्साह रगों में साहस भरता है। 

 

चढ़कर गिरना गिरकर चढ़ना ना अखरता है।

आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

 

 डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है

जा-जा कर खाली हाथ लौटकर आता है

मिलते ना सहज ही मोती गहरे पानी में

बढ़ता दुना उत्साह इसी हैरानी में। 

 

मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। 

 

सफलता एक चुनौती है स्वीकार करो

  क्या  कमी रह गई देखो और सुधार करो,

जब तक सफल ना हो नींद चैन को त्यागो तुम,

संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम।

 

 कुछ किए बिना ही जय-जय कार नहीं होती

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

 

कविता का अंतिम पैराग्राफ में कितना महत्वपूर्ण बातें कही हैं। असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो, क्या कमी रह गई है देखो और सुधार करो।

हम आपसे यही कहना चाहते हैं कि आप अपनी कमजोरी, कमियों को पहचानो और उसे दूर करो। बहाने बनाकर इससे बचने का प्रयास मत करो। आपको मैं कुछ मोटिवेशनल कहानी जो वास्तविक कहानी है बता रहा हूं।

एक रेलवे कुली का IAS बनना

आपने जरूर पढ़ा होगा कि वर्ष 2018 में एर्नाकुलम रेलवे स्टेशन का एक कूली श्रीकांत ने IAS की परीक्षा पास किया। रेलवे स्टेशन पर एक कूली की नौकरी करके IAS बनना कोई साधारण बात नहीं है।

उनके पास सौ बहाने हो सकते थे जैसे इतनी गाड़ी में कैसे पढ़ू। गाड़ी की आवाज आती है यात्री शोरगुल करते रहते हैं। इत्यादि।

लेकिन श्रीकांत के पास कोई बहाना नहीं था। जब पत्रकार ने उनसे पूछा तो उनका जवाब था मैं रेलवे स्टेशन पर फ्री वाईफाई का यूज करके मोबाइल फोन से पढ़ता था और ज्यादा शोरगुल होता तो ईयर फोन लगाकर पढ़ाई कर लेता। क्योंकि मुझे किसी भी हाल में IAS अधिकारी बनना था।

एक साइकिल पंचर बनाने वाले का IAS बनना

आज से करीब 5 साल पहले 2014 के IAS  परीक्षा में आपने सुना होगा कि साइकिल का पंचर बनाने वाले वरुण कुमार ने IAS  की परीक्षा पास किया।

उनके पास कई बहाने हो सकते थे। उनके पिताजी की भी कुछ दिन पहले मौत हो गई थी। लेकिन उनका उद्देश्य था  IAS  बनना और वह IAS  बन कर दिखा दिए। यह केवल एक मोटिवेशनल कहानी ही नहीं बल्कि वास्तविकता है।

एक अंधा व्यक्ति का IAS बनना

पिछले वर्ष 2018 में IAS  बनने वाले राकेश शर्मा बचपन में कोई गलत दवाई खा लेने से अंधा हो गए। आंखों की रोशनी खो जाने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 

पड़ोसियों ने उनके मां पिता को सलाह दिया कि अंधे को किसी आश्रम में छोड़ कर आ जाओ। आज राकेश कुमार IAS  अधिकारी बने हैं।

मैं तो IAS परीक्षा जो भारत की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है उसकी बात कर रहा हूं। ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरी तो हजारों लोग अपनी विपरीत परिस्थितियों में लेकर अपना सपना पूरा किया है। तो फिर आप अपना सपना तो नहीं पूरा कर सकते हैं।

ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं जिसने विपरीत परिस्थितियों में अपनी जिंदगी को सफल बनाया। सुपरस्टार अक्षय कुमार, सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का जीवनी पढ़े। यह सभी किस परिस्थिति में संकट का सामना करके आज सक्सेसफुल हुए हैं।

इसलिए आप लोग से आग्रह बहाना बनाना छोड़िए, इनकी जीवन की मोटिवेशनल कहानी पढ़िए और अपनी जिंदगी बनाओं।

जो हो गया उसे सोचा नहीं करते

जो मिल गया उसे खोया नहीं करते

हासिल उन्हें होती है सफलता

जो वक़्त और हालात पर रोया नहीं करते।

स्टेशन गुरुजी

आपके मन में कोई भी सवाल हो तो आप हमारे वेबसाइट स्टेशन गुरुजी पर जाकर इसका जवाब खोज सकते हैं। स्टेशन गुरुजी stationguruji.com वेबसाइट पर पढ़ाई लिखाई, मोटिवेशनल कहानी,  वित्तीय जानकारी देख सकते हैं।

फिर भी कोई समस्या का हल ना मिले तो आप मुझे ईमेल भेजें। मैं जवाब जरूर दूंगा। मेरा ईमेल आईडी है stationguruji@gmail.com 

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धन्यवाद।

 

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