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Abraham Lincoln's (अब्राहम लिंकन) Motivational Story- एक मजदूर से राष्ट्रपति बनने तक का सफर

अब्राहम लिंकन‌ – एक मजदूर से राष्ट्रपति बनने तक का सफर

दोस्तों हम चाहते तो बहुत कुछ है परंतु हर चाहत में एक शर्त लगा देते हैं। हम चाहते हैं स्वस्थ रहे पर शर्त यह है कि सुबह जल्दी ना उठना पड़े। हम चाहते हैं लाखों रुपए कमाए परंतु शर्त यह है कि हमें कुछ करना ना पड़े।

हम चाहते हैं कि परीक्षा में टॉपर बन जाए, शर्त यह है कि हमें पढ़ना ना पड़े। हम चाहते हैं ओलंपिक में स्वर्ण जीत लें, लेकिन शर्त यह है कि किसी खेल में नहीं बल्कि सोने या बात बनाने में।

हम चाहते हैं ज्ञानी बन जाएं, परंतु शर्त है कि अपना ज्ञान बढ़ाने में नहीं बल्कि दूसरों की गलतियां खोजने में।

दोस्तों आज हम सभी इसी बीमारी से ग्रस्त हो गए हैं। चाहते तो बहुत कुछ है लेकिन जब कुछ करने की बारी आती है तो शर्तें लगाना शुरू कर देते हैं।

अपना लक्ष्य पाने के लिए चाहत बहुत जरूरी है। लेकिन केवल चाहत से कुछ भी हासिल नहीं हो सकता है। 

जैसे किसी खाना को केवल देखने से ही हमारा पेट नहीं भरता है। जब हम खाना खा लेते हैं तभी हमारा पेट भरता है।

जब एक बीज अपने आप को जमीन के अंदर छुपा लेता तब उससे एक सुंदर पौधा निकलता है। जब एक विद्यार्थी अपने आप को कमरे में बंद कर लेता है तब जाकर वह IAS और IPS बनता है।

जब एक महिला अपनी शारीरिक सुंदरता त्याग देती हैं तभी वह मां बनती है। जब एक जमीन का अपनी सुंदर मिट्टी को टुकड़े-टुकड़े कर देती है तभी वह एक उपजाऊ भूमि बनता है।

दोस्तों कुछ पाने के लिए कुछ खोना नहीं पड़ता बल्कि कुछ पाने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ता है।

इसलिए महान लेखक और विचारक डिजरायली ने एकदम सही कहा है कि बिना चीख और रक्त के कुछ भी उत्पन्न नहीं होता। पहले चीखों, दर्द से, अभाव से, गरीबी से, मुसीबत से, समाज के कष्टों से। फिर केवल पसीना नहीं बल्कि रक्त बहाओं।

ऐसा मेहनत करो जिसमें खून पसीना एक हो जाए। जब रक्त बहेगा और चीख उत्पन्न  होगी तो कुछ ना कुछ जरूर पैदा  होगा।

इस चीख के बाद जरूर उत्पन्न होगा आपकी सफलता। वह सफलता जिसका आप सालों से सपना देखते थे।

 

Abraham Lincoln’s (अब्राहम लिंकन) motivational story

 

मैं आपके साथ अब्राहम लिंकन (Abraham Lincoln) की Motivational Story  को शेयर कर रहा हूं। जिसने यह साबित किया कि जीवन में चीखने और खून बहाने  से किसी भी सफलता को प्राप्त किया जा सकता है।

अगर आपको अपना लक्ष्य दूर दिखाई दे रहा है या आप अपनी जिंदगी की असफलता से निराश हो चुके हैं या आप अपने आप को  असफल मान चुके हैं तो एक बार जरूर अब्राहम लिंकन (Abraham Lincoln) का यह मोटिवेशनल स्टोरी पढ़ें।

अब्राहम लिंकन की यह जीवन गाथा आप में एक नया जोश और उमंग भर देगा और आप अपने आप को  असफल मानना भूल जाओगे।

अब्राहम लिंकन  अमेरिका के 16वे राष्ट्रपति बने थे। वह अब तक का सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति माने जाते हैं। जिसने अमेरिका में दास प्रथा को समाप्त किया।

 मैं आपको अब्राहम लिंकन के जीवन के बारे में सच्ची कहानी बता रहा हूं। किस प्रकार एक मजदूर अमेरिका के राष्ट्रपति बनने तक का सफर तय किया। जो हम सभी के लिए प्रेरणादायक हैं।

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अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 को एक गरीब  ईसाई परिवार में हुआ था। उनके पिता थॉमस लिंकन एक छोटे से किसान थे।

अब्राहम लिंकन ने 6 वर्ष की आयु में स्कूल में दाखिला ली थी। स्कूल से आने के बाद वो पिता के साथ खेती और मजदूरी करते थे।

 उनके पिता भी नहीं चाहते थे कि वह पढ़ाई-लिखाई करें। अब्राहम लिंकन को पढ़ने का बहुत शौक था।

 जब अब्राहम लिंकन 9 साल के थे उसकी मां का देहांत हो गया और  वह अपनी पढ़ाई छोड़ कर एक दुकान में काम करना शुरू कर दिए।

 उसी दुकान पर आकर उसने कुछ कानून की किताब पढ़ें। कानून की किताब पढ़ते-पढ़ते उन्हें कानून के विषय में जिज्ञासा बढ़ने लगा। उनके पास इतना पैसे भी नहीं थे कि वह कोई किताब खरीद पाते।

अब्राहम लिंकन पता चला कि नदी के उस पार कोई रिटायर्ड जज का घर है। जिसके पास बहुत सारा कानून की किताब है। उन्होंने निर्णय लिया कि वह उस जज के पास जाकर उनसे किताब पढ़ने के लिए मांगेंगे।

कड़ाके की ठंड में वह खुद अपने नाव पर बैठकर नदी में उतर गये। रास्ते में उनका नाव टूट गया फिर भी वह हार नहीं माने।‌ सर्दी के मौसम में वे नदी तैरकर पार किये।

अब्राहम लिंकन उस रिटायर्ड जज के पास जाकर उनसे किताब देने का आग्रह किया। जज ने अब्राहम लिंकन की लगन को देखकर  किताब देने के लिए राजी हो गया। परंतु जज ने एक शर्त रखा।

जज ने कहा कि अगर तुम्हें किताब पढ़नी है तो मेरे घर में काम करना पड़ेगा। अब्राहम लिंकन जज के घर में काम करने के लिए राजी हो गए।

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अब्राहम लिंकन जज के घर में सभी काम जैसे लकड़ी काट के लाना, घर की साफ सफाई करना और अन्य घरेलू  काम करते थे। साथ ही साथ समय निकालकर कानून की पढ़ाई भी कर लेते।

बड़े होकर अब्राहम लिंकन को पोस्ट मास्टर की नौकरी मिली। पोस्ट मास्टर की नौकरी में रहकर उन्होंने देखा कि समाज में भेदभाव हो रहा है।

गोरे लोग काले लोग को गुलाम बनाकर उसके साथ अत्याचार कर रहे हैं। उन्होंने समाज को सुधारने के लिए राजनीति में जाने का निर्णय लिया।

अब्राहम लिंकन हमेशा कहते थे साधारण दिखने वाले मनुष्य ही दुनिया के सबसे अच्छे मनुष्य होते हैं। यही कारण है कि ईश्वर ऐसे  लोगों का निर्माण अधिक करते हैं।

अब्राहम लिंकन अपने सफलता के सिद्धांत में बता रहे हैं-

यदि मुझे किसी पेड़ को काटने के लिए 6 घंटा मिलेगा तो मैं पहले 4 घंटे कुल्हाड़ी की धार तेज करने में लगाऊंगा।

अब्राहम लिंकन का पूरी जिंदगी  कष्ट में निकला। उन्होंने एक लड़की से प्यार किया और उससे शादी करना चाहते थे।

दुर्भाग्यवश उस लड़की की मृत्यु हो गई। वह रात-रात भर उस लड़की के कब्र पर जाकर रोते रहते थे।

एक ऐसा भी समय आया जब अब्राहम लिंकन चाकू से दूर रहा करते थे। उन्हें लगता था कि मैं कहीं अपने आप को ना मार दूं।

चुनाव लड़ने के लिए पोस्ट मास्टर की नौकरी छोड़नी पड़ी। लेकिन वह चुनाव में भी हार गए।

 फिर उन्होंने वकालत शुरू की। वे लंबे समय लगभग 20 साल तक वकालत की।

गरीबों से फीस ना लेने और कभी भी झूठा मुकदमा ना लड़ने के कारण वह वकालत में भी असफल रहे और उन्हें वकालत छोड़नी पड़ी।

वकालत के समय उनका यह वाक्य बहुत प्रसिद्ध हुआ कि

मैं जीतने के लिए प्रतिज्ञा नहीं लेता हूं परंतु मैं सच्चा होने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध हूं।

अब्राहम लिंकन का राष्ट्रपति बनने तक का सफर पर एक नजर

राष्ट्रपति पद तक पहुंचने के लिए अब्राहमलिंकन को बहुत ही कष्टकारी और अविश्वसनीय यात्रा से गुजरना पड़ा। जैसे-

जिन्दगी के 22वें साल में बिजनेस में असफल।

जिन्दगी के 23वें साल में State Legislator  का चुनाव हार गए।

जिन्दगी के 24वें साल में नया बिजनेस शुरू किया फिर  असफल रहे।

जिन्दगी के 26वें में साल में उनके मंगेतर का निधन।

जिन्दगी के 27वें साल में Nervous Breakdown के शिकार (अत्यधिक तनावग्रस्त एवं दैनिक कामकाज करने में परेशानी)

जिन्दगी के 29वें  साल में Congress के लिए चुनाव लड़े हार गए।

जिन्दगी के 31वें साल में फिर कोशिश की चुनाव हार गए।

जिन्दगी के 46वें साल में Senate का चुनाव हार गए।

जिन्दगी के 47वें साल में वाइस प्रेसडेंट के लिए चुनाव लड़े, हार गए।

जिन्दगी के 50वें साल में फिर Senate के लिए चुनाव लड़े हार गए।

जिन्दगी के 51वें साल 1860 में अमेरिका के 16वे राष्ट्रपति बने।

अब्राहम लिंकन के प्रेरणादायक कथन

उनका ही अमर वाक्य है-

लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा बनाई गई सरकार है।

आज हमारे जीवन में एक या दो असफलता आती हैं और हम हार मान कर बैठ जाते हैं या जीवन का रास्ता बदल देते हैं। अपनी मंजिल को भूल जाते हैं।

 लेकिन ऊपर दिए गए अब्राहम लिंकन के जीवन से क्या हम सीख सकते है कि उन्होंने कितनी बार  असफल हुआ फिर भी उन्होंने राष्ट्रपति बनने का ख्वाब नहीं छोड़ा।

अब्राहम लिंकन हमेशा कहते थे

मैं धीमा चलता हूं पर मैं कभी वापस नहीं आता।

 जिस डॉलर को देखने के लिए बचपन में अब्राहम लिंकन तरसते थे आज अमेरिका में हर नोट पर अब्राहम लिंकन का ही फोटो छपा हुआ है।

दास प्रथा अमेरिका के माथे पर एक दाग के समान था। जिसको जड़ से मिटाने का काम अब्राहम लिंकन ने हीं किया। उन्होंने ही अपनी कड़ी मेहनत से दास प्रथा का उन्मूलन किया।

अब्राहम लिंकन हमेशा कहते थे कि

कुछ कर गुजरने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के लिए इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है

15 अप्रैल 1865 को अब्राहम लिंकन की हत्या कर दी गई। लेकिन आज भी वह पूरे दुनिया के नौजवानों के लिए मार्गदर्शन का काम कर रहे है। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का काम कर रहा है।

स्टेशन गुरुजी

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