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कर्मों का फल जरूर मिलता है

कर्मों का फल जरूर मिलता है

हमें आज नहीं तो कल हमें अपने कर्मों का फल जरूर मिलता है। अगर हम अच्छा कर्म करते हैं तो अच्छा फल मिलता है। यदि बुरा करते हैं तो बुरा फल मिलता है। इसलिए कर्म करने से पहले जरूर सोचे कि कैसा कर्म हम कर रहे हैं।

कभी भी यह ना सोचे कि इस  कर्मों का फल  मुझे नहीं मिलेगा। ऐसे एक नहीं लाखों उदाहरण है जिसमें जिसने जैसा कर्म किया है उसको वैसा फल मिला है। इसलिए कभी बुरा कर्म करना तो दूर उसके बारे में सोचे भी नहीं।

मैं आपको  दो सच्ची कहानी सुना रहा हूं। जिसमें दोनों व्यक्ति को अपने कर्मों का फल मिला। एक को तो 20 साल बाद उसके कर्मों का फल मिला।  देर से ही सही कर्मों का फल जरूर मिलता है।

एक मछली लेने के कारण एक हाथ काटने पर

आपको मैं एक रोचक कहानी सुना रहा हूं। एक व्यक्ति मछली पकड़ रहा था। मछली पकड़ा ही था कि तभी एक दबंग व्यक्ति पहुंच गया। वह बहुत बदमाश था। उसने उस मछली वाले से मछली छीन कर ले गए।

दबंग व्यक्ति मछली लेकर जब जा रहा था तब वह मछली जिंदा ही थी। उस मछली ने उस दबंग व्यक्ति के उंगली में काट लिया। कुछ दिनों बाद दबंग व्यक्ति को इतना दर्द होने लगा कि वह डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर ने कहा तुम्हें यह उंगली काटना पड़ेगा। क्योंकि इसमें जहर फैल चुका है।

मजबूरी बस उस दबंग व्यक्ति ने उंगली कटवा लिया। 1 महीने के बाद उस दबंग व्यक्ति को फिर बहुत जोर से दर्द होने लगा। उस दबंग व्यक्ति ने पुनः डॉक्टर के पास पहुंचा। डॉक्टर  ने कहा घाव तो आगे बढ़ गया है तुम्हारा पंजा काटना पड़ेगा। फिर वह मजबूरी बस पंजा कटवा दिया।

कुछ समय बाद उस व्यक्ति को हाथ में फिर दर्द होने लगा और व्यक्ति डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर ने कहा तुम्हारा यह घाव आगे तक बढ़ चुका है। आधा बाजू काटना पड़ेगा। वह दबंग व्यक्ति को ना चाहते हुए भी अपना आधा बाजू कटवाना पड़ा।

उस डॉक्टर को कुछ समझ नहीं आ रहा था। आधा बाजू काटने के  बाद डॉक्टर ने उस दबंग व्यक्ति से बोला तुम कुछ ऐसे काम तो नहीं किए हो जिसके कारण तुम्हारा हाथ काटना पड़ा।

मुझे  साफ-साफ बताओ। उस व्यक्ति ने कहा कि मैं करीब 6 महीने पहले एक आदमी से कुछ मछली छीन लिया था। उस मछली ने मुझे काट लिया। तभी से यह समस्या शुरू हुई।

डॉक्टर ने उस दबंग व्यक्ति को कहा यह तुम्हारे उसी कर्मों का फल है। तुम जाओ और उस व्यक्ति से माफी मांग लो। दबंग व्यक्ति ने उससे माफी मांगने तालाब के पास पहुंचा।

दबंग व्यक्ति ने उस मछली पकड़ने वाले के पैर में गिर कर बोला तुमने मुझे क्या श्राप दिया कि मेरा यह अंगुली होते-होते पूरा हाथ कट गया है। उस मछली पकड़ने वाले व्यक्ति ने कहा मैं तुम्हें कुछ भी श्राप नहीं दिया।

तब दबंग व्यक्ति ने बोला, तुम कुछ ना कुछ तो जरूर बोला होगा जिसका परिणाम मैं भुगत रहा हूं। तब वह मछली पकड़ने वाले व्यक्ति ने कहा, तुमने जब मुझसे अपने दबंग से मछली छीन लिया उस वक्त मैंने ईश्वर को कहा, हे ईश्वरयह अपना ताकत मुझे दिखा रहा है तुम अपना ताकत इसे दिखा देना‘, बस इतना ही कहा था।

इस प्रकार दोस्तों, हम गरीब, असहाय, अपने से कमजोर लोगों को परेशान कर सकते हैं। लेकिन जब ईश्वर अपनी ताकत दिखाने लगता है और बुरा करना शुरू करता है फिर उसका इलाज कहीं भी और किसी के पास नहीं है।

कोई व्यक्ति कितना ही बड़े पद एवं ऊंची हैसियत रखता हो लेकिन ईश्वर से ऊंचा  नहीं हो सकता। इसलिए हमें कभी भी बुरा कर्म नहीं करना चाहिए। कभी भी किसी गरीब एवं निर्धन लोगों को सताना नहीं चाहिए। आज नहीं तो कल बुरे कर्मों का फल जरूर मिलता है।

20 साल बाद बुरे कर्मों का फल मिला

इसी कर्मों का फल से संबंधित एक दूसरी कहानी बता रहे हैं। 1893 ईसवी की बात है। फ्रांस में  एक हेनरी नाम के व्यक्ति ने एक लड़की से प्यार किया। प्यार करने के बाद उसने उस लड़की को धोखा दे दिया।

उस लड़की ने अपने भाई को  बताया। उस लड़की के भाई ने हेनरी को मारने के लिए चला गया। उसने हेनरी पर बंदूक चलाया। बंदूक की गोली एक पेड़ में लग गया और हेनरी गिर गया। लड़की का भाई समझा कि हेनरी को गोली लग गया और वह मर गया।

लड़की के भाई ने भी अपने आप को गोली मार कर मर गया। जब उस लड़की को यह बात पता लगा कि हेनरी और उसके भाई दोनों मर गया। लड़की ने भी अपने आप को गोली मार कर मर गई।

इस घटनाक्रम के 20 साल बाद हेनरी को घर में फर्नीचर के लिए कुछ लकड़ी का काम पड़ा। वहीं पेड़ जिसने हेनरी की जान बचाई थी उसे काटकर फर्नीचर बनाने की निर्णय किया गया।

लेकिन वह पेड़ इतना मजबूत था कि उसे नहीं काटा जा सका। तब उसको किसी ने सुझाव दिया इस पेड़ को बम से उड़ा दिया जाए। जैसे ही बम फटा 20 साल पहले उसके अंदर घुसी गोली निकला और हेनरी के सिर में लग गया और हेनरी मारा गया।

कर्मों का फल देर से यानी 20 साल बाद मिला लेकिन उसे  भोगना ही पड़ा। इस प्रकार देर सबेर हमें अपने कर्मों का फल जरूर मिलता है। यह न सोचे मुझे  कौन क्या बिगाड़ सकता है। मैं कुछ भी कर सकता हूं।

इस कहानी से सीख

इस दोनों कहानी से आपने क्या सीखा? हमें कभी भी  ज्यादा घमंड नहीं करना चाहिए। दूसरे को सताना या  दूसरे का बुरा  नहीं करना चाहिए।

प्राचीन समय में लिखे गए महाग्रंथ  गीता एवं रामायण में इसी बात पर जोर दिया गया है। रावण बहुत प्रतापी एवं बलवान था। लेकिन दूसरे स्त्री को अपहरण करके लाने के कारण पूरा वंश उसका नाश हो गया।

धृतराष्ट्र के सौ पुत्र, एक से बढ़कर एक वीर एवं महावीर थे। कौरव की सेना विशाल थी। महायोद्धा कोई अजर अमर था तो किसी को इच्छा मृत्यु का वरदान। फिर भी सभी मारे गए। क्योंकि उसने पांडवों के साथ बुरा किया था।

इसलिए हमें कभी भी किसी के साथ बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा अच्छा कर्म करना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में लिखा है जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान यह है गीता का ज्ञान।

इस प्रकार आपके मन में कोई भी सवाल हो या कोई भी समस्या हो तो हमें जरूर ईमेल करें। या फिर गूगल में जाकर स्टेशन गुरुजी जो हमारे वेबसाइट का नाम है बोलकर समस्या के समाधान को सर्च कर सकते हैं। जैसे स्टेशन गुरुजी मन को शांत कैसे करें या स्टेशन गुरुजी सपने को सच कैसे करें, चिंता दूर कैसे करें इत्यादि

धन्यवाद।

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