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Best Motivational Story in Hindi - उम्र भले ही 55 हों दिल को रखें बचपन

अपने बचपन को याद करें

ज्यों ज्यों हमारी उम्र बढ़ती जाती है हममें कई परिवर्तन होते जाते हैं। बचपन में जब हमसे पूछा जाता बड़े होकर क्या बनोगे तो हम सभी अपनी अपनी इच्छा बताते थे। मन करता जल्दी यह बचपन निकल जाए और हमें वह चीज प्राप्त हो जाएगा।

बचपन की कुछ ऐसे चीजें है जो हमें कभी भी द्वारा प्राप्त नहीं हो सकते। बचपन की कोमल ह्रदय, साफ़ दिल, सही वचन यह सभी बड़े होकर प्राप्त नहीं कर सकते।

जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाती है हममें कई अवगुण जन्म लेना शुरू हो जाता है। जैसे झूठ बोलना, दिल में कोई बात छुपाना, अंदर ही अंदर जलन का भावना उत्पन्न होना, दूसरे की बुराई करना। यह सभी अवगुण बचपन में नहीं होता।

आप जब बड़े हो गए यह सारे अवगुण हमारे अंदर पैदा हो गए। अब सोचता हूं  कोई आकर पूछे कि तुम्हें क्या बनना है तो सिर्फ यही कहूंगा मुझे फिर से बच्चा बनन बनना है।

एक उम्र वो थी कि जादू में भी यकीन था

एक उम्र ये है कि हकीकत पर भी शक है।

बच्चा जिसमें सिर्फ आनंद ही आनंद था। ना कोई टेंशन ना कोई जलन, ना सोने की चिंता, ना ही उठने की जल्दी। सभी दोस्त ही दोस्त हैं दुश्मन क्या होता है पता ही नहीं था।

कल के बारे में क्या सोचना। आज हम 5 साल बाद क्या करेंगे अभी सोचने लगते हैं। बचपन में तो सुबह में भी नहीं सोच पाते हैं कि शाम को क्या करना है। कितना अच्छा था वह सुबह और शाम।

आम को तोड़ने के लिए आम के पेड़ पर बार-बार पत्थर मारना पड़ता था। कभी भी हार नहीं मानते जब तक आम टूट नहीं जाता। आज कोई भी काम शुरू करो एक से दो बार सफलता नहीं मिलती, काम करना छोड़ दिया।

बचपन में वह भी क्या दिन थे। स्कूल से आते ही तालाब में मछली पकड़ना। जब तक मछली मिल ना जाए घर वापस नहीं जाना, चाहे जिस हाल में हो। और आज किसी काम को शुरू करने से पहले ही हिम्मत हार देते हैं। यह काम मुझसे नहीं होगा।

बचपन कहां चला गया? दिल में वह विश्वास सब कहां गायब हो गया? ऐसे लगता है उम्र बढ़ने के साथ उत्साह गायब हो गया। अच्छा होता बचपन में सब काम कर लेते तो आज यह नौबत ही नहीं आता।

जहां लेट जाते हैं वही नींद आ जाती। चिंता और सोच  तो सपने में भी नहीं आती। दोस्तों के साथ खेलनाा, बातें शेयर करना। बड़ा से बड़ा दुख, समस्या दोस्तों शेयर करते ही वह समस्या गायब हो जाता।

आज अपने घर में अपने बीवी और बच्चों के साथ भी समस्या शेयर नहीं कर सकते। दोस्त के आगे कहीं सिर झुक ना जाए इसलिए कोई भी समस्या उन्हें भी नहीं बताते। मन ही मन सोचता रहता हूं आखिर बचपन ठीक था या यह  जवानी।

अपने अंदर का बचपन जिंदा रखो –  मोटिवेशनल कहानी

हम चाहे किसी भी उम्र के हो जाए हमें अपने अंदर का बचपन को जिंदा रखना चाहिए। यदि हम अपने अंदर का बचपन जिंदा रखे तो हम  ऐसे काम को कर सकते हैं जो कई बार बड़े लोग उस काम को नहीं कर सकता।

आपको ऐसा ही एक कहानी सुना रहा हूं। जिसमें एक बच्चा ने वह काम कर दिखाया जो उसकी मां बाप ने नहीं कर पाया।

एक मां बाप अपने बच्चे के बिमारी से बहुत परेशान थे। कई हॉस्पिटल में चक्कर लगा लिया लेकिन कहीं भी सुधार नहीं हो रहा था। बच्चे को ठीक होने के लिए एक बड़े ऑपरेशन की आवश्यकता थी।

इस ऑपरेशन के लिए काफी सारा पैसा चाहिए था। मां पिताजी हार मान कर बैठ गया। वह सोच लिया अब मेरा बच्चा नहीं बच पाएगा। क्योंकि उनके पास पैसा नहीं था।

घर आते ही बच्चे की मां ने पूछा क्या हुआ? बच्चे के पिता ने कहा  अब बच्चा नहीं बच पाएगा। सभी डॉक्टर ने मना कर दिया है। अब तो कोई चमत्कार ही हो तो  बच्चा बच जाए।

एक उनकी बच्ची जो घर में थी पिताजी की बात सुन रही थी। वह मन ही मन सोची यह चमत्कार कहां मिलेगा? फिर उसने सोचा कि यह जरूर किसी दवाई का नाम है। वह अपने पास एक गुल्लक में कुछ पैसे जमा किया हुआ था। वह गुल्लक लेकर दवाई की दुकान पर चला गया।

दुकान पर दवाई खरीदने वालों की भीड़ लगी थी। लड़की किसी प्रकार आगे बढ़ते दवाई के काउंटर पर पहुंची। फिर वहां बैठे दुकानदार को बच्ची नजर आई। दुकानदार ने कहा बोलो बेटा क्या चाहिए? बच्ची ने कहा मुझे चमत्कार चाहिए?

दुकानदार यह क्या है? मेरा भाई बहुत बीमार है उसके लिए हमें चमत्कार चाहिए? उस दुकान पर एक डाक्टर भी बैठा हुआ था। उसने बच्ची से पूछा तुम्हें चमत्कार क्यों चाहिए?

बच्ची ने कहा, मेरे पिताजी मेरी मां को बोल रहे थें मेरा भाई अब बच नहीं पाएगा। उसे बचाने के लिए चमत्कार चाहिए। मैं पैसा लेकर चमत्कार खरीदने आई हूं।

डॉक्टर ने पूछा इस गुल्लक में कितने पैसे हैं? बच्ची ने तुरंत पटक कर उसे गुल्लक को फोड़ दिया और पैसे गिनती करने लगी। गिनती करने के बाद उस बच्ची ने  बताया इसमें ₹117 है।

डॉक्टर ने कहा यह तो बहुत है इसमें तो तुम्हें चमत्कार जरूर मिल जाएगा। डॉक्टर ने कहा तुम मुझे अपने घर ले चलो वहीं पर मैं तुम्हें चमत्कार दूंंगा। डॉक्टर बच्ची के घर आ कर माता-पिितासे मिले और  ऑपरेशन करने के लिए तैयार हो गया। इस प्रकार वह बच्चा बच गया।

इस कहानी से क्या सीख मिलती है

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की बचपन में जिस प्रकार हम कभी हार नहीं मानते थे उसी प्रकार हम जीवन भर हार ना मानने का प्रण करें।

बचपन में हम किसी से भी कुछ मांग लेते थे। हमें शर्म बिल्कुल नहीं आती थी कि लोग क्या सोचेंगे। कई लोगों को मरने की नौबत आ जाती है लेकिन वह कुछ मांगता नहीं। वह सोचते हैं वह क्या सोचेंगे।

हमें यह बिल्कुल नहीं करना चाहिए। हमें जो भी अति आवश्यक है उसे  दूसरों से मांग लेनी चाहिए। बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए कि अगला क्या सोचेंगे। हमेशा आशावादी विचार मन में उत्पन्न करें।

याद करें आप पिछली बार कब जोर से हंसे थे। ठहाका लगाकर हंसे आपको कितने महीने हो गए। आपको शायद याद नहीं आएगा। जबकि बचपन में आप दिन में कई बार जोर-जोर से हंसते थे।

छोटी-छोटी बातों पर ठहाका लगाकर हंसने लगते। आप बड़े हैं आपको यह बताना नहीं पड़ेगा कि हंसने से कितना फायदा है। कभी-कभी मोटिवेशनल कहानी पढ़ते रहे।

एक कहावत आपने जरूर सुनी होगी उम्र पचपन लेकिन दिल बचपन। आपका उम्र भले ही 55 साल का हो या 85 साल का लेकिन आपका दिल बचपन की तरह होना चाहिए।

मेरे वेबसाइट का नाम स्टेशन गुरुजी है। मैं यहां पर पढ़ाई लिखाई, मोटिवेशनल कहानी, वित्तीय जानकारी इत्यादि विषय पर जानकारी शेयर करता रहता हूं। यह आपके लिए काफी लाभदायक हो सकता है।

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