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Motivational Story - चलती का नाम गाड़ी

मार्टिन लूथर किंग ने कहा है – अगर तुम उड़ नहीं सकते हो तो दौड़ो, अगर दौड़ नहीं सकते हो तो चलो, अगर तुम चल नहीं सकते हो तो रेंगों, पर निरंतर आगे बढ़ते रहो। अपनी सोच और दिशा बदलो। सफलता तुम्हारा स्वागत करेगी।

रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी एक अच्छा जूता पहन कर चला जा सकता है। किंतु एक अच्छे जूते के अंदर एक भी कंकड़ घुसा जाता है तो एक अच्छी सड़क पर भी कुछ कदम चलना मुश्किल हो जाता है। यानी हम बाहर की चुनौतियों से नहीं अपने भीतर की कमजोरी से हारते है।

चलती का नाम गाड़ी

एक पुरानी हिंदी गीत है जो अक्सर विविध भारती पर सुनने को मिलते हैं

जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबह शाम।

आजकल तो रेडियो बहुत कम ही लोग सुनते हैं। इस वीडियो के जमाने में लोगों ने रेडियो सुनना लगभग बंद ही कर दिया है। इस मोबाइल और वीडियो के युग में रेडियो गांव में ही कोई कोई व्यक्ति सुनता है। वह भी  नहीं के बराबर।

अब मुख्य बात पर आते हैं। मार्टिन लूथर किंग के वाक्य और यह गाने के बोल  कहती हैं कि हमे हमेशा चलना चाहिए। हम जो कर सकते हैं हमें करना चाहिए। धीमी गति से ही सही लेकिन मंजिल की ओर लगातार  बढ़ना चाहिए। कभी रुकना नहीं चाहिए क्योंकि चलती का नाम गाड़ी हैं।

लक्ष्य प्राप्त करने के रास्ते में अनेक बाधाएं आएगी। हमें बाधाओं को पार करना पड़ेगा। हम नीचे कुछ बिंदु का जिक्र कर रहे हैं जो आपके दैनिक जीवन में आती हैं। इसे ध्यान रखकर हमें अपना मंजिल प्राप्त करना है। क्योंकि कहा गया है कि चलती का नाम गाड़ी है।

अंधविश्वास को त्यागो

कई लोग अच्छे समय का इंतजार करते रहते हैं। वह सोचता है अच्छा समय आएगा तो मेरा भी भाग्य चमकेगा। ऐसे लोगों से मेरा यही कहना  है कि कोई समय अच्छा या बुरा नहीं होता।

अच्छे समय का इंतजार ना करें। बल्कि समय को ही अच्छा बनाएं। अच्छे पढ़े-लिखे डॉक्टर इंजीनियर वकील ड्यूटी जाने के लिए रवाना होते हैं। रास्ते में  कोई बिल्ली रास्ता काट देता है तो वह गाड़ी रोक लेते हैं। कई तो वापस घर चले जाते हैं।

कई लोग दूसरे रास्ते से निकल जाते हैं। जिस देश और जिस समाज बिल्ली के रास्ता काटने पर आदमी अपना मंजिल बदल दें। वहां हम विकास की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।

बिल्ली भी एक सामाजिक जानवर है। उसको भी चलने का अधिकार है। इसलिए उसे भी चलने दे और आप भी चलते रहे कभी रूकें नहीं। क्योंकि चलती का नाम गाड़ी है।

केवल सोचो नहीं, कुछ करो

कई लोग बहुत बड़ा सोचते हैं। अच्छी बात है बड़ा सोचो। लेकिन करने के नाम पर कुछ भी नहीं करते। ख्वाबों में टाटा और अंबानी से अपनी तुलना करते हैं।

धीरूभाई अंबानी ने एक छोटे से पेट्रोल पंप पर  अपना काम शुरू किया था। आज वह कहां पहुंच गए। यदि वह उस समय सोचते कि मैं  एशिया का सबसे अमीर व्यक्ति बन जाऊं तो वह कभी भी नहीं बन पाते।

इसलिए पहले शुरुआत करो। मंजिल चाहे कितनी भी दूर क्यों ना हो पहला कदम से ही उसकी दूरी कम हो जाती है। ₹1 भी  कमाना शुरू कर दें। क्योंकि ₹1 से 100 बनते हैं 100 से 1000 और 1000 से लाख बनते हैं। इसलिए कुछ ना कुछ जरूर करें। क्योंकि चलती का नाम गाड़ी है।

लक्ष्य के अनुसार काम करो

कई लोग बचपन से ही बड़े डॉक्टर और इंजीनियर बनने की सोचते हैं। अच्छी बात है सोचना चाहिए। लेकिन केवल सोचना ही काफी नहीं है।

यदि आप डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं तो उसी के अनुरूप अपने आपको ढाल दो। आप नौवीं दसवीं क्लास से साइंस और मैथ पर ज्यादा ध्यान दें। इस विषय को अच्छी तरह तैयार करें। इस विषय की सिलेबस के अलावा एक दो किताब अतिरिक्त रखें।

तब जाकर आप अपने मंजिल पाने में कामयाब हो सकते हैं। यदि आप डॉक्टर और इंजीनियर बनना चाहते हो और आपका इंटरेस्ट इतिहास एवं भूगोल विषय में है तब आपको अपना लक्ष्य पाना मुश्किल हो जाएगा।

इसलिए अपना लक्ष्य बनाएं और सही दिशा में अपनी गाड़ी को चलाएं। लगातार और नियमित परिश्रम  आपको सफलता दिला सकता है। क्योंकि चलती का नाम गाड़ी है।

भाग्य मेहनत से बनता है

कुछ लोग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का ख्वाब देखते हैं। यह बहुत अच्छी बात है। अपने और अपने देश के लिए ओलंपिक में पदक जीतना एक गर्व की बात है।

लेकिन केवल सोचने से ही सब कुछ हो जाता तो सभी पदक भारत में ही आते। जब कुछ करने की बारी आती है या सुबह 5:00 बजे उठकर दौड़ने की बारी आती है तो हम रजाई के अंदर  सोएं रहते हैं। फिर हम अपना मंजिल कैसे प्राप्त कर सकता है।

माइकल फ्लेप्स जो अमेरिका के तैराक हैं। उसने ओलंपिक खेल में सबसे ज्यादा स्वर्ण पदक जीतने का रिकॉर्ड बनाए हैं। उसको किसी महिला ने पूछा कि आप बहुत भाग्यशाली हैं जो एक ही ओलंपिक में सबसे ज्यादा स्वर्ण पदक जीतने का रिकॉर्ड बनाए हैं।

माइकल फेल्प्स ने महिला को तुरंत जवाब दिया कि मैं प्रतिदिन 12 घंटे पानी में रहकर प्रैक्टिस करता हूं तब जाकर स्वर्ण पदक मिला है। जब आप भी हमसे ज्यादा देर पानी में रहकर प्रैक्टिस करें तो आप हमसे ज्यादा भाग्यशाली और स्वर्ण पदक जीत सकते हैं।

केवल भाग्य से कुछ नहीं हो पाता है। भाग्य मेहनत से ही बनता है। लक्ष्य बनाएं और उसकी तरफ बढ़ते रहें। जितना कर सकते हैं जरूर करें। कुछ समय बाद आप देखेंगे कि वह काम जो आपको पहले असंभव लगता था उसे भी आप आसानी से कर रहे हैं। इसलिए कभी भी रुके नहीं जीवन में आगे बढ़ते रहें क्योंकि चलती का नाम गाड़ी है।

दिमाग से नकारात्मक वाक्य को निकाले

बचपन में कविता पढ़ता था कुछ काम करो कुछ काम करो, जग में रहकर कुछ नाम करो। कुछ ना कुछ काम हमें करना ही चाहिए। हम बहुत कुछ कर सकते हैं। यदि हम बिल्कुल अनपढ़ गवार हैं कुछ भी नहीं जानते तो पशु पालन कर सकते हैं।

यदि हम थोड़ी बहुत पढ़ें हैं तो खेती बारी या छोटे से दुकान खोल सकते हैं। उससे भी ज्यादा पढ़े हैं तो हम बिजनेस कर सकते हैं। उससे भी ज्यादा पढ़े हैं तो हम किसी कंपनी में अच्छा पद पर काम कर सकते हैं।

यानी कभी भी अपने आप को कम नहीं आंके। मैं यह नहीं जानता हूं या यह काम मैं नहीं कर सकता हूं। कभी भी इस वाक्य का प्रयोग ना करें।

इस वाक्य के बदले में यह बोले कि यह काम मैं कैसे कर सकता हूं? या यह जानकारी में कैसे प्राप्त कर सकता हूं? क्योंकि जब आपके दिमाग में प्रश्नवाचक वाक्य आएगा तो आप उसका जवाब ढूंढ सकते हो।

लेकिन यह काम में नहीं कर सकता हूं। यह काम मैं नहीं जानता हूं।  यह नकारात्मक वाक्य आपके दिमाग को बंद कर देगा। आप इसका समाधान नहीं कर पाओगे और ना ही कुछ कर पाओगे।

इसलिए अपने दिमाग से नकारात्मक विचार हटाए और प्रश्नवाचक वाक्य बैठाए।

महत्वपूर्ण यह नहीं है कि आप क्या नहीं जानते हैं? महत्वपूर्ण यह है कि आप क्या जानते हैं और आप क्या कर सकते हैं? आप जो काम जानते हैं वह काम शुरू कर दे।

बस आप एक बार काम करना शुरू कर दें। आप देखेंगे कि आप कुछ समय बाद वह काम भी कर देंगे जिसके बारे में आपने सोचा ही नहीं था।

इसलिए कुछ ना कुछ जरूर करते रहें। कुछ ना कुछ काम तो करना ही चाहिए। चाहे आपकी उम्र कुछ भी हो कुछ ना कुछ करें। स्वस्थ रहें, मस्त रहें, चलते रहें। क्योंकि चलती का नाम गाड़ी है।

मन उदास हो जाए, दिमाग में नकारात्मक बात आ जाए या और भी कोई समस्या हो तो गूगल पर जाकर स्टेशन गुरुजी से पूछे। सभी समस्या का हल आपको मिल जाएगी।

धन्यवाद।

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