AdSense header

चिंता दूर कैसे करें। टेंशन दूर करने के 11 उपाय पढ़ें।

चिंता कैसे दूर करें

कबीरदास जी कहते हैं

चिंता से चतुराई घटे, दुख से घटे शरीर

पाप से लक्ष्मी घटे, कह गए दास कबीर।

आप कितना भी बुद्धिमान हो यदि आप चिंता करने लगते हैं तो वह बुद्धि आपकी गायब हो जाती हैं। चिंता, टेंशन छोटा सा शब्द है लेकिन इसके परिणाम इतनी भयानक है कि आप सोच नहीं सकते हैं।

छोटी सी टेंशन हमें आत्महत्या तक पहुंचा देती है। एक चिंता जो हमें छोटी सी लगती हैं। वह चिंता करते करते हैं हम चिता पर पहुंच जाते हैं।

आज जिसे देखो वह टेंशन में है। क्या बच्चे और क्या बुजुर्ग सब ने टेंशन पाल रखे हैं।

सभी इंसान को चिंता सता रहा है। विद्यार्थी को परीक्षा का चिंता, बेरोजगार को नौकरी का चिंता, जिसे रोजगार है उसे छटनी का चिंता, बिजनेसमैन को नुकसान का चिंता और उद्योगपति को हड़ताल का चिंता। जिसे देखो चिंता में ही डूबा रहता है।

यदि आप किसी भी समस्या का चिंता करोगे तो वह समस्या जस की तस रहेगी और आपके कई समस्या उत्पन्न हो जाएंगे। क्योंकि जब आप चिंता करना आप शुरू कर देते हैं तो अनेक समस्या आप खुद उत्पन्न कर लोगे।

चिंता मत करो चिंतन करो। आप अपना ध्यान समस्या पर नहीं बल्कि वह समस्या के समाधान पर लगाओ। दुनिया में ऐसा कोई भी समस्या नहीं जिसका समाधान नहीं हो। जो भी समस्या आती है अपना समाधान लेकर आती है।

चिंता और चिंतन दोनों में बहुत अंतर है। चिंता में से बिंदु हटा दो तो वह चिता बन जाता है और चिता मुर्दा को जलाता है। एक बार जलाता है, अंतिम बार जलाता हैै।

जबकि  चिंता जिंदा मनुष्य को जलाता है, बार-बार जलाते हैं तब तक जलाता है जब तक कि वह व्यक्ति चिता पर न पहुंच जाए। इसलिए कभी भी चिंता ना करें, चिंतन करें।

चिंता अथवा टेंशन दूर करने के लिए 11 उपाय

चाहे आपके पास किसी भी तरह का टेंशन हो उसे जरूर दूर करें। छोटी सी टेंशन आपकी जिंदगी को खत्म कर सकते हैं। मैं नीचे टेंशन दूर करने के 11 उपाय  बता रहा हूं। मेरा विश्वास है कि आप इसे आजमाते तो आपकी चिंता जरूर दूर हो जाएगी।

1. जो पास है उससे संतुष्ट रहों

तेरे पास जो है

उसका कद्र कर ।

यहां आसमां के पास भी

खुद की जमीं नहीं।

चिंता का एक मुख्य कारण है कि हम असंतुष्ट रहते हैं। हमारे पास जो भी हैं उसे हम कद्र नहीं करते। जो दूसरों के पास है उसे देखते रहते हैं। उसे प्राप्त करने के लिए चिंता करने लगता है।

दोस्तों सब के पास सभी कुछ नहीं होता और होना भी नहीं चाहिए। क्योंकि यह दुनिया में सभी अपना कर्म का फल प्राप्त करता है। कुछ लोग अपने भाग्य से ही कुछ प्राप्त कर लेते हैं। हमें उससे जलन नहीं करनी चाहिए।

आसमान में उड़ने वाले व्यक्ति को जब नीचे खेत में काम कर रहे किसान देखता है तो सोचता है काश मे भी  हवाई जहाज में उड़ पाता। उसी हवाई जहाज में उड़ने वाला व्यक्ति सोचता है कि काश मैं भी अपने खेत में काम कर पाता।

जमीन पर रहने वाले और आसमान में उड़ने वाले दोनों  ही असंतुष्ट हैं। इसलिए जहां रहे जिस हाल में रहे संतुष्ट रहना सीखें। संतोषम परम सुखम। संतोष में ही सबसे बड़ा सुख मिलता है।

2. समय का इंतजार करें

दोस्तों कई समस्या ऐसे होते हैं जिसे हम कितना भी चाहे वह दूर नहीं हो पाता। उस समस्या के समय पर छोड़ दो।

मेरा एक दोस्त है। उसके पड़ोसी उसे बहुत परेशान करते थे। वह तीन भाई था। तीनों मिलकर इसको काफी परेशान करता। कई बार इन्होंने पंचायत बुलाई, पुलिस में शिकायत कर लिया लेकिन कुछ नहीं हो पाया।

मैंने सुझाव दिया इसे आप समय पर छोड़ दो। लगभग 2 साल बाद ही तीनों भाइयों का आपस में झगड़ा हो गया। उसे घर बेचकर जाना पड़ा और समस्या अपने आप सुलझ गया।

3. Overthinking नहीं करें

चिंता का यह बहुत बड़ी कारण है। ज्यादा सोचना यानी Overthinking हमारे मस्तिष्क को खराब कर देता है। हम उस समस्या के बारे में सोचते रहते हैं जो समस्या कभी आएगी ही नहीं।

हम अपने अतीत के बारे में सोचते रहते हैं जो अतीत बीत गया। Overthinking की समस्या महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है। वह हमेशा बीती हुई बातों के बारे में सोचती रहती  और चिंता करते रहती हैं। शादी के बाद यह बात हो गया यह बात नहीं होनी चाहिए। ससुराल में ऐसा हो गया ऐसा नहीं होना चाहिए इत्यादि।

इसलिए कहा गया है जो बीत गया सो बात गया। रात गई बात गई। कभी भी बीती हुई बातों के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए। क्योंकि वह कभी वापस नहीं आता। Overthinking करने से सिर्फ अपने मस्तिष्क को फालतू काम में उलझाए रखना होता है। इससे दूर   रहे।

4. मन को शांत रखें

मैंने एक लेख लिखा था मन को शांत कैसे रखें? इसमें बताया था कि मन को शांति रखने के कई तरीके होते हैंं। उसे जरूर अपनाएं।

दोस्तों कहा गया है मन के हारे हार है मन के जीते जीत। कभी भी अपने मन को अशांत नहीं होने दे। क्योंकि मन से हमारा दिमाग का कनेक्शन होता है।

मन यदि शांत नहीं है तो आपका दिमाग  सही काम नहीं कर पाएग। वह सही गलत का निर्णय नहीं ले पाएगा।  इसलिए कभी भी चिंता ना करें। मन को खुश रखें। यदि मन शांत रहेगा तो चिंता आपसे दूर रहेगी।

स्पीड ब्रेकर कितना भी बड़ा हो

गति धीमी करने से झटका नहीं लगता

उसी तरह मुसीबत कितना भी बड़ा हो

शांति से विचार करने पर जीवन में झटके नहीं लगते

5. ईश्वर पर विश्वास रखें

अगर आप ईश्वर में विश्वास करते हैं तो उन पर भरोसा जरूर रखें। यदि वह कोई आपको समस्या दे रहा है उसका समाधान भी आपके आसपास ही हैं।

कहा गया है ईश्वर उसी व्यक्ति को समस्या देता है जो समाधान करने के लायक होता है। इसलिए समस्या देखकर घबराए नहीं। चाहे कोई भी समस्या है चिंता करने से कुछ नहीं होगा।

भगवान का नाम ले और भगवान को धन्यवाद कि यह समस्या हमारे पास आया। क्योंकि हम जितना समस्या का समाधान करते हैं हम उतना ही मजबूत होते हैं। हर आपदा में अवसर निकालने वाला ही सच्चा इंसान होता है।

6. समस्या पहचानने और उपाय सोचें

पहले आप समस्या के पहचानें। आखिर ऐसा कौन सा समस्या है जो आपके चिंता का कारण है? कई बार होता है कि हम समस्या को ही नहीं पहचान पाते हैं।

जैसे मान ले कि आपको घर बनाना है। आपके पास पैसा नहीं है। इसलिए आपको एक दूसरा जमीन बेचना है। वह जमीन के पैसे से आपको घर बनाना है।

आप यदि घर की चिंता करते रहते हैं कि घर कैसे बनेगा। तो यह आपका समस्या सही नहीं है। क्योंकि समस्या आपका जमीन बिकने की है। यदि जमीन बिक जाएगा और पैसा आ जाएगा घर तो अपने आप बन जाएगा।

मंजिल तो मौत है

 सफर का मजा लो

यदि आपके पास एक से अधिक समस्या है और सबकी चिंता आप करते हैं।  जो समस्या पहले आ रही हैं उसे दूर करें उसके बाद जो समस्या आएगी उसे दूर करने के बारे में बाद में सोचेंगे।

7. माया मोह का त्याग करें

कई बुजुर्ग के पास चिंता की लाइन लगी रहती है। मेरे बेटा को अच्छा मकान नहीं है। मेरे पोता को नौकरी नहीं लगी। मेरी पोती की शादी नहीं हुई है। और ना जाने किस किस बारे में चिंता करते रहते हैं।

बुजुर्ग यदि अपना चिंता दूर करना चाहते हैं तो वह अपना माया मोह का त्याग कर दे। अब अंतिम समय में वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते। ना पोता को नौकरी दिलवा सकते हैं और ना बेटा को घर बनवा सकते हैं। फिर चिंता किस बात की।

जब हम अपने सारी उम्र में  बच्चे या अपने परिवार के लिए जो कर पाए उससे हम संतुष्ट नहीं हैं तो अब हम उसके लिए क्या कर सकते हैं।  हमारे करने से उसे कितना काम आएगा। यदि बच्चे समझदार है तो वह खुद अच्छा से अच्छा कर लेंगे। यदि वह नासमझ है तो हम कितना भी उसे कर देंगे वह उसे नहीं संभाल पाएगा।

इसलिए माया मोह का त्याग करके रामायण पाठ करें। गीता पुस्तक पढ़े। भजन कीर्तन में अपना मन लगाए। यदि आपका इन कामों में मन नहीं लगता तो किसी एनजीओ में जाकर सेवा करें। गरीबों का दुख बांटने का प्रयास करें।

8. भविष्य का चिंता ना करें

चिंता का एक मुख्य कारण है अपने भविष्य के बारे में सोचना। हम अक्सर कहते हैं कि भविष्य किसने देखा है। लेकिन बार-बार हम भविष्य की चिंता करते रहते हैं।

चाहे विद्यार्थी हो या फिर नौकरी करने वाले अधिकारी ,व्यापारी हो या उद्योगपति सभी लोग भविष्य की चिंता करते रहते हैं। भविष्य अनिश्चित होता है और अनिश्चित के बारे में क्या चिंता करना।

कई बार हम डर के मारे मर जाते हैं। क्योंकि समस्या हमें उतना नहीं मारता जितना हमें उसका डर मार देता है। कोई महामारी आएगी आपको लगेगी फिर आप मरोगें। लेकिन आप पहले ही चिंता करने लगोगें, बीमारी आने वाले हैं, मुझे लग जाएगा तो आप बीमारी आने से पहले ही मर जाओगे।

9. हमेशा आशावादी रहे

आशा ही जीवन है निराशा तो मौत है। चाहे कैसी भी परिस्थिति आ जाए आप एक बार निश्चय कर लो कि मुझे आशावादी बने रहना है। मुझे निराशावादी नहीं बनना है। यदि आप आशावादी रहोगे चिंता आप से दूर रहेगा। जब भी आप निराशावादी बनोगे चिंता आपको घेर लेगी।

एक कहानी आप जरूर सुने होंगे। एक बार राजा दो व्यक्ति को मृत्युदंड दिया। दोनों व्यक्ति में से एक आशावादी था और दूसरा निराशावादी। राजा ने दोनों  से उनकी आखिरी इच्छा पूछीं।

निराशावादी व्यक्ति ने कहा अब तो मुझे मरना ही है। अब मेरी कोई इच्छा नहीं है। आप तो मुझे जल्द से जल्द मौत दे दो। मेरी कोई इच्छा नहीं है।

राजा ने फिर आशावादी व्यक्ति से उसकी आखिरी इच्छा पूछी। आशावादी व्यक्ति ने कहा कि महाराज यदि आप मुझे 1 साल बाद फांसी दो तो मैं इस एक साल में आपके सबसे प्यारे घोड़े को हवा में उड़ना सिखा सकता हूं।

राजा ने बोला सही में मेरा घोड़ा उड़ सकता हैै। उस व्यक्ति ने कहा हां जरूर उड़ सकता है। राजा मान गया।

निराशावादी व्यक्ति ने उस आशावादी व्यक्ति को बोला तुमने अपना फांसी टालने के लिए राजा को घोड़े उड़ने वाली बात बताया। घोड़ा भी कभी आसमान में उड़ सकता है?

आशावादी व्यक्ति ने बोला 1 साल में कुछ भी हो सकता है। जैसे क्या पता  राजा मर जाए। यह भी हो सकता है कि घोड़ा मर जाए। क्या पता कहीं 1 साल में मैं हीं मर जाऊं और सबसे अंत में क्या पता राजा का मूड बदल जाए और मुझे माफ कर दे। इस प्रकार मैं तो बच गया ना।

इसलिए हमेशा आशावादी बन रहे।

10. कम बोलें

जितना ज्यादा बोलोगे उतना ही चिंता करोगे। क्योंकि सभी समस्या का जड़ ज्यादा बोलना है। आजकल आप देखते होंगे किसी फिल्म स्टार या किसी नेता ने किसी के बारे में कुछ गलत बोल दिया।  जिसके विरुद्ध बोला  उसने कोर्ट में मानहानि का दावा कर दिया। बोलने वाला चिंता में आ गया। इसलिए जितना हो सके कम बोलना चाहिए।

जहां आवश्यक हो और जितना आवश्यक हो उतना ही बोलें। आज के समय में किसी से बहस करने का प्रयास ना करें। क्योंकि यदि आप बहस में जीत भी जाओगे तो अगले वाले से आपका मनमुटाव या दुश्मनी हो जाएगा। जो आपकी चिंता का कारण बन सकता है।

आप कभी किसी जैन आश्रम में जाकर देखें। सभी जैन धर्मावलंबि मुंह पर एक सफेद पट्टी बांधे रखते हैं। जैन मुनि द्वारा कहा गया गया है कि दुनिया में जितने भी चिंता, लड़ाई, झगड़ा का जड़ है वह हमारी जीभ।

हम अपने जीभ को अपने बस में कर ले और कम बोले तो आधी से ज्यादा समस्या दुनिया से खत्म हो जाएगा। कम बोलने से फायदा काफी है इसलिए हमेशा कम बोलना चाहिए।

संक्षेप में

इस प्रकार मैंने आपके सभी डर एवं अंधविश्वास का कारण और निदान बताया हूं। मेरे वेबसाइट करना स्टेशन गुरुजी हैं। आप गूगल पर जाकर स्टेशन गुरुजी लिखे या बोल दे आपको सभी समस्या का समाधान मिल जाएगा।

फिर भी आपको कोई दिक्कत है तो मुझे आप ईमेल भेज सकते हैं। मैं पढ़ाई लिखाई, मोटिवेशनल कहानी, वित्तीय जानकारी  इत्यादि विषय पर निष्पक्ष रुप से ज्ञानवर्धक लेख लिखता रहता हूं। जो आपके लिए उपयोगी हो सकते हैं।

जाते जाते

मत सोच इतना…….

जिंदगी के बारे में

जिसने जिंदगी दी है

उसने भी तो कुछ सोचा ही होगा ।

धन्यवाद।

 

कोई टिप्पणी नहीं

Please comment only important matters.

Blogger द्वारा संचालित.