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आशावादी कैसे बनें? क्या सफलता के लिए आशावादी होना आवश्यक है।

आशावादी कैसे बनें?

दुनिया में जितनी भी घटना घटती है उसे देखने की दो नजरिया है पहला आशावादी दूसरा निराशावादी। आशावादी को हर बुरी घटना में भी अच्छी चीज नजर आती हैं जबकि निराशावादी को हर अच्छी घटना में हुई बुरी चीज नजर आते हैं।

गिलास में आधा पानी भरा हुआ है। आशावादी हमेशा देखता है कि इस गिलास में आधा पानी भरा हुआ है। जबकि निराशावादी हमेशा देखेगा इस गिलास में आधा तो खाली है।

वर्तमान में कोरोनावायरस चल रही है। हर जगह लॉकडाउन लगा हुआ है। निराशावादी सोच सोच कर मर रहा है। बीमारी से ज्यादा लोग निराशा और चिंता से मर रहे हैं।

आशावादी व्यक्ति इस परिस्थिति में भी अच्छा चीज ढूंढ लिया है। लॉकडाउन के कारण अनेकों तालाब साफ हो गया है। मौसम एवं वातावरण पूरी तरह प्रदूषण मुक्त हो रही है। आदमी को प्राकृतिक एवं पेड़ पौधे के गुण के बारे में पता चल रहा है। घर बैठे आदमी कई नई नई चीज सीख रहे हैं इत्यादि।

महान मोटिवेशनल लेखक स्वेटर  मोर्डेन कहते हैं। निराशावादी भयंकर राक्षस है जो हमारी ही नाश के इंतजार में बैठा रहता है।

शास्त्रों में कहा गया है

निराशयां समं पापों मानवस्य न विध्धते।

  ता समूलं ह्याशवादं परोभव।।

अर्थात मनुष्य के लिए निराशा से बढ़कर दूसरा कोई पाप नहीं है। इसलिए इसका समूल नाश करके आशावादी बनना ही धर्म है।

आशा जीवन है और निराशा मौत। अगर आपको जिंदा रहना है आपको आशावादी बनना ही पड़ेगा। बिना आशा मनुष्य एक जिंदा लाश की तरह है।

आशावादी का कोई विकल्प नहीं

आशावादी का कोई विकल्प नहीं है। इससे बढ़कर कुछ भी नहीं। आपको एक छोटी सी कहानी सुनाता हूं।

एक गांव में नई बहू आईं। चार बुढ़िया आपस में लड़ रही थी कि मैं बड़ी हूं तो मैं बड़ी हूं।

उस चारों बुढ़िया ने नई बहू के पास जाकर पूछा, बहू  तुम बताओ कि हम चारों में से सबसे बड़ी कौन है? बहू ने कहा कि आप अपना एक-एक करके परिचय दीजिए।

सबसे बड़ी बुढ़िया बोली मैं भूख हूं। मैं सबसे बड़ी हूं। क्योंकि भूख के बिना आदमी रह नहीं सकता। भूख के कारण ही आदमी ना जाने कितने गलत काम करते रहते हैं।

बहू  बोली नहीं आप बड़ी कैसे हो सकती हो? आपका तो विकल्प है। भूख शांत करने के लिए 56 प्रकार के व्यंजन उपलब्ध है। भूख छप्पन प्रकार के व्यंजन से भी शांत हो जाता है और बासी रोटी से भी शांत हो जाता है। इसलिए आप सबसे बड़ी नहीं हो सकती हो।

दूसरी ने कहा मैं प्यास हूं। आदमी खाना के बिना तो रह सकता है, लेकिन बिना पानी पिए  नहीं रह सकता।

बहू ने कहा, आप बड़ी कैसे हो। प्यास गंगाजल से भी, मधुर रस से और तालाब का गंदे पानी से भी प्यास बुझाता है। प्यास  के कई विकल्प मौजूद हैं और जिसका विकल्प है वह बड़ा नहीं हो सकता है।

तीसरी ने कहा मैं नींद हूं। नींद सबको प्यारा होता है। बिना नींद के व्यक्ति जिंदा नहीं रह सकता है।

बहू ने कहा आप भी बड़ी नहीं हो।  नींद कोमल बिस्तर पर भी आ जाता है और  टूटी खाट पर भी आ जाते हैं। नींद को शांत करने के कई उपाय हैं। इसीलिए आप बड़ी नहीं हो सकती हो।

चौथी बुढ़िया ने कहा मैं आशा हूं। जिसके पास आशा है वह मनुष्य 100 वर्ष तक जीवित रह सकता है। बिना आशा आदमी के जिंदा रहने और मरने में कोई अंतर नहीं है।

बहू ने उन्हें प्रणाम किया और  बोली हां वास्तव में आप सबसे बड़ी हो। क्योंकि आप का कोई विकल्प नहीं हैै। आशा ही ऐसी चीज है जिसका कोई विकल्प नहीं हैै। इसलिए हमें आशावादी बनना ही पड़ेगा।

आशावादी विचार

आप भले ही किसी भी परिस्थिति का सामना कर रहे हो हमेशा आपके विचार आशावादी होना चाहिए। आपको एक छोटा सा कहानी बताते हैं  आशावादी   विचार होने के कारण ही उसका प्राण बच गया।

दो दोस्त में कहीं पर चोरी किया और पकड़ा गया। राजा ने दोनों को प्राण दंड दे दिए। फांसी पर चढ़ने से पहले राजा में दोनों से उसकी आखिरी इच्छा पूछी।

प्रथम दोस्त निराशावादी था। उसने बोला मुझे तो आप जल्द से जल्द फांसी दे दो। अब तो मुझे मरना ही है। अब मैं अपना आखिरी इच्छा क्या बताऊं।

दूसरा दोस्त आशावादी था। फांसी के फंदा सामने देखकर भी अपना आशावादी विचार नहीं छोड़ा। उन्होंने राजा को कहा महाराज यदि आप मुझे 1 साल तक फांसी नहीं दोगे तो मैं आप के सबसे प्रिय घोड़ा को हवा में उड़ना सिखा दूंगा।

राजा बहुत खुश हुआ और बोला क्या तुम सही में घोड़ा को हवा में उड़ना सिखा सकते हो। आशावादी व्यक्ति ने कहा हां महाराज मैं 1 साल में आपके प्रिय घोड़ा को हवा में उड़ना सिखा दूंगा।

राजा बोला ठीक है, एक साल बाद तुम्हें फांसी दी जाएगी। निराशावादी दोस्त ने आशावादी दोस्त को बोला कि तुम फांसी से बचने के लिए राजा से झूठ बोला। आशावादी दोस्त ने बोला, नहीं दोस्त मैं हमेशा अपना आशा को जिंदा रखता हूं।

दूसरे दोस्त ने बोला, क्या तुम्हें लगता है 1 साल बाद राजा तुम्हें छोड़ देगा। क्या तुम उसके घोड़े को उड़ाना सिखा सकते हो। आशावादी दोस्त ने बोला 1 साल में कुछ भी हो सकता है।

पहला विकल्प क्या पता एक साल में राजा ही मर जाए? दूसरा विकल्प 1 साल में घोड़ा ही मर जाए। तीसरा विकल्प हो सकता है 1 साल मैं ही  मर जाऊं और अंतिम विकल्प हो सकता है राजा का 1 साल में मन बदल जाए और मुझे माफ कर दे।

इस प्रकार आशावादी व्यक्ति मरते दम तक आशा को नहीं छोड़ते। आशावादी व्यक्ति जीवन में हमेशा सफलता प्राप्त करता है।

आशावादी व्यक्ति की आदतें

अब आप सोच रहे होंगे कि आशावादी व्यक्ति मुझे भी बनना है। आखिर आप कौन-कौन से आदतें  अपनाए जिससे हमेशा आशावादी बने रहेंगे। निराशा आपसे दूर दूर भागेगी।

नीचे कुछ आदतें की व्याख्या कर रहा हूं। आप प्रयास करें इन आदतों को अपनाने का। इससे आप भी आशावाद की श्रेणी में आ जाएंगे।

1. मोटिवेशनल कहानी पढ़ें

हम अपना समय फालतू चीजों में ज्यादा खराब करते हैं। मोबाइल पर गेम खेलना, झूठी मूठी पिक्चर देखना इत्यादि।  सच्ची प्रेरक कहानी पढ़ेंं। अपने आपको हमेशा मोटिवेट करते रहें।

2. संतुष्ट रहना सीखें

आपके पास जो चीज है उसमें संतुष्ट रहना सीखें। असंतुष्टि ही हमें निराशावादी की श्रेणी में ला खड़ा करता है। आप हमेशा अपने नीचे वाले को देखें।

आप देखें कि आपके पास जो हैं लाखों व्यक्ति के पास वह चीज नहीं है। दूसरे को देख कर अपने मन में हीन भावना उत्पन्न करना निराशावादी  है। इसलिए कभी भी अपना तुलना दूसरों से ना करें। संतुष्ट रहना सीखें।

3. खुद पर विश्वास रखें

आशावादी व्यक्ति हमेशा अपने आप पर विश्वास रखते हैं। चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति उनके जीवन में आती है वह कभी भी दूसरों से कोई उम्मीद नहीं रखते हैं।

अपने आप पर विश्वास करते हैं कि मैं यह काम कर सकता हूंं और वह कर लेते हैं। कहा गया है जब आप खुद पर विश्वास नहीं करेंगे तो दूसरा आप पर क्यों विश्वास करेगा।

4. ओवरथिंकिंग (Overthinking) से बचें

कई बार हम ज्यादा सोच सोच कर Overthinking के शिकार हो जाते हैं। इस Overthinking के कारण हमें निराशाबाद घेर लेता है। हमें आसपास में निराशा का ही माहौल नजर आता है।

यह आशावाद बिलकुल खिलाफ है। कभी भी Overthinking ना करें। खुश रहें मस्त रहें। आशावादी का यही मूल मंत्र हैै।

5. जो चाहते हैं उसी के बारे में सोचें

कई बार हम चाहते तो कुछ और है लेकिन सोचते कुछ और है। यह ठीक उसी प्रकार है जैसे एक ही बर्तन में नींबू का रस और दूध दोनों रखना।

कई विद्यार्थी पढ़ाई तो पास होने के लिए करते हैं लेकिन हमेशा फेल होने के बारे में सोचते रहते हैं। कई महिला पति से तो बहुत प्यार करती है लेकिन  तलाक ना हो जाए इस बारे में सोचती रहते हैं।

इसलिए आप वही सोचिए जो आप चाहते हैं। जो चाहते ही नहीं है उसे कभी भी दिमाग में ना लाएं। इससे आशावादी बनने में काफी मदद मिलेगा।

6. उजाला पक्ष को ही देखें

दोस्तों हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं। हर व्यक्ति में अच्छा और बुरा गुण होते हैं। यदि आपको आशावादी बनना है तो आप केवल उजाला पक्ष को ही देखें।

आप के जितने भी मिलने वाले दोस्त हैं सभी में क्या गुण हैं उस पर अपना ध्यान लगाएं। जो आप देखते हो वही प्राप्त करते हो। यदि आप दूसरों में बुराई देखोगे तो बुराई ही प्राप्त करोगे और निराशावादी बनोगे। यदि आप दूसरों में अच्छाई देखोगे तो अच्छा गुण प्राप्त करोगे और आशावादी बनोगे।

7. हमेशा मुस्कुराते रहे

चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं आपका खुश रहना ही आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है। इसलिए आप हमेशा मुस्कुराते रहो।

यदि आप अपने दुश्मनों को मारना चाहते हो तो उसके लिए कोई भी हथियार की आवश्यकता नहीं है। आपका मुस्कुराना ही आपकी दुश्मनों को मारने के लिए सबसे बड़ी औजार है।

दुनिया कहता है खुश रहो, पर मजाल है कि खुश रहने दे।  लोग आपको कभी भी मुस्कुराने का मौका नहीं देेंगी। आपको खुद खुश रहना होगा। आशावादी व्यक्ति कभी भी इंतजार नहीं रहता कि मुझे मुस्कुराने का मौका मिलेगा। छोटी-छोटी चीजों में मुस्कुराते रहेंं। आशावादी में सबसे बड़ा कौन होता है।

8. दूसरों को क्षमा करो

आपको कोई कष्ट दे रहा है, परेशान कर रहा है, यदि आप ही उस को परेशान करोगे तो उसमें और आप में कोई अंतर नहीं रहेगा। बल्कि आपकी शांति भंग हो जाएगी। आप भी  निराशावादी के लाइन में खड़े हो जाओगेे।

इसलिए जितना हो सके दूसरों को क्षमा कर दो। क्योंकि बदला लेने से हमारे अंदर क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से आपका स्वभाव बदलने लगता है। बार-बार जो मैं आपको आशावादी बने के लिए प्रेरित कर रहा हूं वह निराशा में बदल जााएगा। इसलिए कभी भी बदला लेने की ना सोचे।

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