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डर को दूर कैसे भगाए? क्योंकि डर के आगे जीत है।

डर क्या है?

यदि आपको मैं पूछूं क्या आप डरते हैं? तो आपका जवाब होगा नहीं, बिल्कुल नहीं। लेकिन विश्वास कीजिए आप हम सभी किसी न किसी डर के शिकार बने हुए हैं। कहीं ना कहीं जरूर डरते हैं।  अच्छा पढ़ा-लिखा लोग, विद्वान लोग के अंदर कोई ना कोई डर जरूर घर बना रखा है।

एक मेरा दोस्त है। अच्छा पढ़ा लिखा समझदार। उसे मैंने पूछ लिया क्या तूम डरते हो? नहीं मैं कभी नहीं डरता। किसी प्रकार का मेरे में डर नहीं है। हम लोग यह बात करते ही आगे जा रहे हैं। तभी एक बिल्ली रास्ता काट दिया। मेरा दोस्त कहा रुक जाओ, रुक जाओ। अपना रास्ता बदल लेते हैं। क्योंकि बिल्ली रास्ता काट दिया।

मैंने कहा अभी तो तुम बोल रहे थे मैं किसी से नहीं डरता तो फिर यह कौन सी डर है। उन्होंने कहा  नहीं यार यह तो अपशकुन है। मैं तो इस रास्ते से आगे नहीं जाऊंगा। दोस्तों  हम सब के पास में डर  है।

डर, अंधविश्वास, आशंका हम सभी में भरा हुआ है। कहीं ऐसा ना हो जाए। कहीं वैसा ना हो जाए। कई बार मन में यह सवाल उठता रहता है।

डर के प्रकार

डर अनेकों प्रकार के होते हैं। ऐसे ऐसे डर जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। भूत प्रेत का डर, पानी का डर, ऊंचे स्थान का डर, मरने का डर, असफलता का डर। इसी प्रकार दोस्तों डर कितने भी प्रकार के हो सकते हैं।

इस प्रकार डर कई प्रकार के होते हैं।  उनमें से कुछ मुख्य डर जिसकी व्याख्या में आगे कर रहा हूं तथा उस डर को दूर करने का उपाय भी बता रहा हूं।

डर को दूर करने के उपाय

कुछ मुख्य प्रकार की डर को दूर करने का उपाय आपको बता रहा हूंं। यह अधिकांश व्यक्ति के पास होता है। इसे दूर करना आवश्यक है। क्योंकि डर को दूर करेंगे तभी तो हम आगे बढ़ेंगे। क्योंकि डर के आगे जीत है।

1. मृत्यु का डर

जितने भी डर है उसमें सबसे ज्यादा  मृत्यु के डर को माना गया है। यह अक्सर व्यक्ति में होता है। मैं कैसे मर जाऊंगा? मैं मर जाऊंगा तो क्या होगा? इत्यादि।

एक बार यक्ष ने युधिष्ठिर से सवाल किया कि  युधिष्ठिर यह बताओ कि दुनिया में आश्चर्य क्या है?  युधिष्ठिर ने जवाब दिया महाराज, प्रतिदिन इस संसार में लोग मरते हैं। लोग एक दूसरे को मरते हुए देखते हैं। फिर भी जो इंसान जिंदा बचे हैं वह हमेशा जिंदा ही रहना चाहता है। वह मरने से डरता है। यह सबसे बड़ा धरती पर आश्चर्य है।

हमें कभी भी मृत्यु से नहीं डरना चाहिए। क्योंकि शास्त्रों में मृत्यु को जीवन का अंतिम सत्य कहा गया है। दुनिया की सभी बातें झूठी हो सकती है। लेकिन एक मृत्यु ही है जो सत्य है। आज नहीं तो कल हम सभी को मरना है। तो फिर इस मौत से डरना किस बात की।

आपने जरूर सुना होगा

मौत से किसकी यारी है

 आज हमारी तो कल तुम्हारी बारी है।

मौत को अपनी जिंदगी का आखरी पड़ाव मान कर चलें। इस पर  हम सभी को आज नहीं तो कल पहुंचना है। इससे डरना नहीं है। बल्कि हमें जीवन में आगे बढ़ना है। कहा गया है

होनी तो होकर रहे

अनहोनी ना होय

जाको राखे साइयां

मार सके ना कोई

जो होनी है वह तो होकर ही रहेगी। आप की मौत जिस दिन लिखी है  उस दिन आपको कोई भी नहीं बचा सकता है। यदि आप की जिंदगी बाकी है तो आपको कोई भी नहीं मार सकता है। इसलिए कभी भी मौत से ना डरें। जीवन में आगे बढ़े।

2. असफलता का डर

 

सफलता का डर मौत के डर से भी बड़ा होता है। क्योंकि मौत तो हमें एक बार मारता है पर असफलता का डर मुझे बार-बार मारता है। कई लोग असफलता के डर से कोई नया काम शुरू नहीं करते। जिंदगी भर दूसरों की गुलामी करते हैं।

उसे अपने आप विश्वास ही नहीं होता कि यह काम मैं कर सकता हूं। इसलिए वह कोई नया काम नहीं करते। मैं देखा हूं कि अच्छे-अच्छे   व्यक्ति जो अपने कंपनी के मालिक से ज्यादा बुद्धिमान होते हैं। लेकिन वह असफलता के डर से एक छोटी सी पद पर जिंदगी भर चिपके रहते हैं। वह कोई भी उद्योग या धंधा खुद का शुरू करने से डरते हैं। डरते हैं असफल हो जाएंगे तो क्या होगा?

जब तक हम अपने अंदर से असफलता का डर बाहर नहीं निकालेंगे  तब तक हम सफल नहीं हो सकते हैं। जैसे

पतझड़ हुए बिना पैरों पर नए पत्ते नहीं आते

कठिनाई और संघर्ष सही बिना अच्छे दिन नहीं आते।

3. लोग क्या कहेंगे? का डर

सबसे बड़ा रोग

क्या कहेंगे लोग 

इस रोग के कारण अच्छी से अच्छी प्रतिभा समाज में दम तोड़ देती है। लोग क्या कहेंगे? लोग क्या सोचेंगे? यह सवाल हजारों की जिंदगी बर्बाद कर दिया।

आज के समय में सभी लोग फिल्मी दुनिया में जाना चाहते हैं। लेकिन एक जमाना था जब कोई लड़की फिल्म दुनिया में जाना का नाम भी लेती थी तो घर से लेकर समाज तक उसे बुरा भला कहने लगता था। उस जवाने में क्या कहेंगे लोग का जिसने परबाह नहीं किया वह सुपरस्टार बन गई। समाज के कारण जो घर से बाहर नहीं निकले वह घर के अंदर ही रह गए।

आपने यह गीत तो जरूर सुना होगा कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना।

हमें कभी भी लोगों के कहने पर अपना मंजिल नहीं बदलना चाहिए। चाणक्य नीति में कहा गया है समय के साथ लोगों का विचार बदल जाता है। लोगों के कहने अनुसार ना चले।

अगर आप खुद ही खुद पर

भरोसा नहीं करोगे

तो कोई और क्यों आप पर भरोसा करेगा 

आप अपने खुद पर भरोसा रखें। वह काम जरूर करें जो आप करना चाहते हैं। कभी भी लोग क्या कहेंगे इस बारे में ना सोचें। अपना दिल और दिमाग दोनों की बात सुनकर काम करें।

 

4. परीक्षा में फेल होने का डर

विद्यार्थी में फेल होने का डर सबसे ज्यादा होता है। कई विद्यार्थी तो परीक्षा में फेल होने के डर से कई परीक्षा में बैठते ही नहीं है। जब तक किसी भी विद्यार्थी के मन से फेल होने का डर बाहर नहीं निकलेगा तब तक वह परीक्षा में अच्छा नंबर नहीं ला सकता है।

विज्ञान द्वारा प्रमाणित आकर्षण का सिद्धांत कहता है कि हम जिस चीज के बारे में सोचते हैं वही हम प्राप्त करते हैं। यदि कोई विद्यार्थी फेल होने के बारे में सोचता है वह फेल होता है। कोई विद्यार्थी परीक्षा में अच्छा नंबर लाने के बारे में सोचता है तो अच्छा नम्बर लाता है। क्योंकि आकर्षण का सिद्धांत कहता है हम जो सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैंं। जो चाहते हैं वह प्राप्त करते हैं।

इसीलिए चाहे कोई भी विद्यार्थी हो सामान्य क्लास में पढ़ रहे हो या प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हो। उसे कभी भी फेल  होने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। क्योंकि इससे उनके तैयारी पर गलत प्रभाव पड़ता है।

5. पुरानी मान्यताओं  का डर

हमारे समाज में कई पुराने मान्यताएं चली आ रही हैं। जिसका डर अभी भी हम सभी के मन में बना हुआ है। जैसे राजस्थान में कोई दक्षिण दिशा की ओर खुलने वाले मकान नहीं खरीदते। किसी व्यक्ति के मर जाने पर हरिद्वार जाने के लिए मरे हुए व्यक्ति का भी टिकट लेकर जाते है।

बिल्ली द्वारा रास्ता काटना, रात में कुत्ते के रोने की आवाज आना या गीदड़ का भोकन इत्यादि को अशुभ मानना। ऐसे बहुत सारे पुरानी मानता है  जिसे आज भी बहुत से लोग मान रहे हैं।

यदि आपको जिंदगी में आगे बढ़ना है तो आपको इस मान्यताएं को छोड़ना पड़ेगा। आपको जीवन में आगे बढ़ना पड़ेगा। यदि बिल्ली रास्ता काट दिया तो क्या हो गया? बिल्ली  भी रास्ते पर चल रही है हम भी रास्ते पर चल रहे हैं।

इसका क्या मतलब  जो व्यक्ति मर गया उसका टिकट लेकर हरिद्वार जाना। क्या हो गया  मकान का दिशा उत्तर हो या दक्षिण। इससे क्या फर्क पड़ता है।

दोस्तों मैंने देखा है कि कई लोग पुरानी मान्यताएं के कारण अपना अच्छा जीवन बर्बाद कर देते हैं। उनके मन में इस प्रकार के कई डर अपना घर बना लेते हैं। जो जीवन भर उनका साथ नहीं छोड़ते।

6. भूत प्रेत का डर

आज के समय में भी कई लोगों को भूत प्रेत का डर बहुत सताता है। कई लोग उस घर में नहीं जाते जिस घर में किसी की मौत हो गई हो। श्मशान घाट जाने से डरते रहता है।

आपके मन में यह विश्वास जगाना होगा कि इस दुनिया में भूत प्रेत कुछ भी नहीं होताा। कई ढोंगी बाबा आपके दिमाग में याह बात भर देतााहै  कि भूत प्रेत की आत्मा के कारण तुम्हारे घर में यह बात हो रही है, वह बात हो रही है।  भूत प्रेत नहीं है आपको विश्वास करना पड़ेगा।

इस प्रकार डर के कई रूप होते हैं। आपको उस सभी रूपों से दूर रहना है और अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाना है। इसीलिए कहा गया है कि

 डर से ना डरो

डर से आगे बढ़ो

 क्योंकि डर के आगे जीत है 

संक्षेप में

इस प्रकार मैंने आपके सभी डर एवं अंधविश्वास का कारण और निदान बताया हूं। मेरे वेबसाइट करना स्टेशन गुरुजी हैं। आप गूगल पर जाकर स्टेशन गुरुजी लिखे या बोल दे आपको सभी समस्या का समाधान मिल जाएगा।

फिर भी आपको कोई दिक्कत है तो मुझे आप ईमेल भेज सकते हैं। मैं पढ़ाई लिखाई, मोटिवेशनल कहानी, वित्तीय जानकारी  इत्यादि विषय पर निष्पक्ष रुप से ज्ञानवर्धक लेख लिखता रहता हूं। जो आपके लिए उपयोगी हो सकते हैं।

धन्यवाद।

 

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